जब हम दर्ज़ी को पेंट या कमीज बनाने के लिए कपड़ा देते हैं तो वह सबसे पहले उसके ऊपर वह माप लेता है। इसके बाद वह माप के अनुसार कपड़े पर रेखाये लगाकर कटाई करता है।उस के बाद सिलाई करता है। और इसी प्रकार पेंट या सर्ट को तैयार कर देता है।ठीक उसी प्रकार इंजीनियर लाइन में भी कोई मशीन या पार्ट तैयार करने के लिए करने के ब्लू प्रिंट या ड्राइंग द्वारा उसकी माप प्राप्त की जाती है इसके बाद उचित साइज़ की धातु लेकर उसकी सतह पर ड्राइंग अनुसार सेंट्रल लाइन में केंद्र बिंदु चाप सीधी रेखाये खिची जाती इसी कार्य को ले-आउट या मार्किंग कहते हैं।अतः मार्किंग या लेआउट एक टेक्निकल टर्म है जिसका अर्थ कारीगर की सुविधा के लिए धातु की सतह पर ड्राइंग के अनुसार सेंट्रल लाइन, केंद्र बिंदू, चॉप,सर्कल आदि खींचना इसी को मार्किंग या ले-आउट कहते हैं।
मार्किंग के लिए निम्नलिखित बातों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए या रखा जाता है-
मार्किंग शुरू करने से पहले drwaing या ब्लूप्रिंट अच्छी तरह से पढ़ लेन चाहिए
ड्राइंग में दिए गए माप की शुद्धता के अनुसार उचित marking tool का चुनाव करलेना चाहिए
marking करते समय ड्राइंग में दिए गए प्रत्येक माप को अच्छी तरह से पढ़कर ही मार्किंग टूल को सेट करना चाहिए .
डाट panchसे punching करने से पहले लगायी गई रेखाओं को चेक कर लेना चाहिए तथा जिन रेखाओं की अवस्कता नहीं है उन पर स्क्राइबर द्वारा हल्का सा निशान लगाना चाहिए .
डाट पंच से निशान लगाते समय निशानों की आपसी दूरी 3 से 5 मी. मी. तक होनी चाहिए
किसी सुराख़ के वृत्त को परिधि पर केवल चार डाट आमने सामने लगाने चाहिए और एक निशान उसके केंद्र बिंदु पर सेंटर पंच द्वारा लगाना चाहिए